Review of the film सैम बहादुर कलाकार
विक्की कौशल, सान्यम मल्होत्मा, फातিमा सना मेख,, नीरम काबी और मोह्म० मीमामा आदि
लेखक
भॵাनी अय्यर शांतनु श्रीवास्तव और मेघना गुलमरर
निर्देशक
मेघना गुलजार
निर्माता
रॉनी स्क्रूवाला
रिलीज:
1 दिसंबर 2023
रेटिंग
3.5 out of 5
सैम मानेकशॉ की आज रिलीज हुई फिल्म “सैम बहादुर” के बारे में बताने से पहले, हम उनके बारे में थोड़ा ज्ञान प्राप्त करेंगे। सैम मानेकशॉ, जिनका वास्तविक नाम विक्टरी चौधरी था, एक भारतीय सेना के अफसर थे जो अपने सेवा काल में बहुत उदाहरणीय कार्यों के लिए पहचाने गए। सैम मानेकशॉ ने भारत के लिए अपने योगदान के लिए बहुत से सम्मान प्राप्त किए। उन्होंने पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान को अलग कर बांग्लादेश की स्थापना करने और भारत को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनका साथ देने वाली अहम व्यक्ति इंदिरा गांधी थीं जिन्होंने राजनीतिक धुरी पर मजबूत निर्णय लिया। सैम मानेकशॉ ने सेना के सबसे आला अफसर के रूप में इंदिरा गांधी के निर्णय को सफलता से पूरा किया और इतिहास रच दिया। उन्होंने इंदिरा गांधी को युद्ध से पहले जंग की तैयारी के बारे में सूचित किया और इसका सफलता से परिचित किया। 1971 के युद्ध से पहले भी, उन्होंने कई मौकों पर अपनी वीरता का परिचय दिया। सैम मानेकशॉ ने अपने चालीस वर्षों के सेवाकाल में भारत को कई बड़ी लड़ाइयों में जीत दिलाई और उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोत्तम योगदान दिया। उनकी शौर्यगाथाएं और सेना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका ने उन्हें एक योद्धा के रूप में सम्मानित किया। आज रिलीज हुई फिल्म “सैम बहादुर” में उनके जीवन की कहानी को दर्शाया गया है, जिससे लोग उनके महत्वपूर्ण योगदान को और अधिक समझ सकते हैं। इस फिल्म के माध्यम से सैम मानेकशॉ के जीवन के एक रोमांटिक और उत्कृष्ट पहलुओं को देखने का अवसर मिलेगा।
शुरुआत: बचपन से शुरू हुआ सिलसिला
सैम मानेकशॉ का किरदार निभाने वाले विक्की कौशल की अद्वितीय प्रस्तुति के साथ, ‘सैम बहादुर’ फिल्म में निर्देशक मेघना गुलजार ने एक नए किस्से को जीवंत किया है। फिल्म की कहानी सैम बहादुर के बचपन से ही शुरू होती है, जब वह झूल रहे होते हैं और उनके माता-पिता ने उनका नाम साइरस रखा होता है। फिल्म की कहानी में एक दर्दनाक मोड़ आता है, जब एक चोर अपने ही नाम से पकड़ा जाता है, जिससे सैम बहादुर के माता-पिता को चिंता होती है। इसके पश्चात्, सैम बहादुर का कार्यक्षेत्र सीधे सैनिकी में बदल जाता है और उन्हें विभिन्न युद्धों में भाग लेना पड़ता है। फिल्म में सैम बहादुर को द्वितीय विश्व युद्ध के समय बर्मा भेजा जाता है, और वह कई जंगों में भाग लेते हैं। इन लड़ाइयों की कड़ी से जुड़ी कहानियाँ फिल्म में दर्शकों को दिखाई जाएंगी। फिल्म ‘सैम बहादुर’ में रिसर्च करते समय, इसे और उसके कल्पनात्मक पात्रों को जानकर यह एक दिलचस्प अनुभव प्रदान कर सकती है, जो नायक की जीवनी को एक समृद्धि से भर देती है।
एक्टिंग: विक्की कौशल के अभिनय का शीर्ष
आपने बिल्कुल सही कहा है कि विक्की कौशल ने फिल्म “सैम मानेकशॉ” में सैम बहादुर का किरदार निभाते हुए एक शानदार अभिनय प्रस्तुत किया है। उनकी आदाकारी से सैम मानेकशॉ का चित्रण बहुत अच्छे तरीके से किया गया है और उन्होंने इस किरदार को नए ऊचाइयों तक ले जाने में सफलता प्राप्त की है। विक्की कौशल ने सैम मानेकशॉ के किरदार में सैन्य अधिकारी का रौब, दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता, चाल-ढाल और बातचीत के अंदाज को पूरी तरह से सहारा दिया है। उनका अभिनय विभिन्न दृष्टिकोणों से रिच था और दर्शकों को सैम मानेकशॉ के किरदार में पूरी तरह से बसा लिया। विक्की कौशल का उद्दीपन, उनकी भाषा का चयन, और अभिनय के माध्यम से वे सैम मानेकशॉ के किरदार को बहुत ही अद्वितीय बना देते हैं। उन्होंने अपनी शानदार अदाकारी से दर्शकों को सैम मानेकशॉ के साथ ज़मीनी स्तर पर जोड़ दिया है और फिल्म को एक यादगार अनुभव में बदल दिया है।
हंसने के भी पर्याप्त अवसर
अगर आपको लग रहा है कि यह फिल्म सेना, राजनीति, युद्ध जैसे विषयों पर है तो थोड़ी बोरिंग होगी, तो यह आपका महज पूर्वानुमान है। युद्ध जैसे हालातों के बीच भी इस फिल्म में कई ऐसे मौके आते हैं, जब आप खुलकर हंस पाते हैं। फिल्म देखते हुए आप कल्पना कर सकते हैं कि सैम मानकेशॉ का सेंस ऑफ ह्यूमर कितना कमाल का रहा होगा! इस फिल्म में सिर्फ युद्ध और सेना का अनुशासन ही नहीं है, बल्कि गंभीर स्थितियों के बीच भी कई हंसने वाले दृश्य हैं। पर्दे पर एक जगह वे पीएम इंदिरा गांधी तक से ‘स्वीटी’ कहते नजर आते हैं। इसी तरह बर्मा युद्ध के दौरान शरीर में नौ गोलियां लगने के बाद भी वे मुस्कुराते हैं।
क्यों देखने जाएं?
जब आपके पास स्पाई यूनिवर्स की ‘टाइगर 3’ और आज ही रिलीज हुई एक और बड़े सितारे की फिल्म देखने का विकल्प उपलब्ध है, जिसके शो भी सवेरे जल्दी शुरू हो चुके हों तो आप ‘सैम बहादुर’ देखने क्यों जाएं? तो जवाब है- अगर आपको सेना और युद्ध आधारित फिल्में पसंद हैं, इतिहास में रुचि है, देशभक्ति के विषय पसंद हैं तो आंख बंद करके ये फिल्म देखने चले जाइए। यह फिल्म देश के अतीत को लेकर आपकी जानकारी को भी समृद्ध करेगी। परिवार के साथ देखने जाने लायक फिल्म है और बच्चों को एक युद्ध नायक के बारे में बताने का बेहतर मौका है, इससे चूकिए मत।
क्यों न जाएं
किसी दूसरी फिल्मों से तुलना करना सैम बहादुर की वीरता और विक्की कौशल के अभिनय के साथ नाइंसाफी होगी, लेकिन अगर वजह बतानी ही पड़े तो यह ध्यान रखें कि अगर आपको खालिस मसाला और ड्रामा फिल्में ही रुचती हों तो शायद ये फिल्म आपको कम पसंद आए।
विक्की कौशल ने दर्शकों को बांधे रखा
पूरी फिल्म में ऐसा लगता है कि अकेले विक्की कौशल ने अपने कंधे पर दर्शकों को बांधे रखने की जिम्मेदारी संभाली हुई है। उनके अलावा बाकी स्टारकास्ट पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। विक्की कौशल के अलावा फिल्म में सान्या मल्होत्रा (सैम बहादुर की