“भक्ति और सेवा का संगम: बाबा लाला जय सिंह के आध्यात्मिक धाम में एक अद्वितीय यात्रा”
बाबा लाला जय सिंह का मंदिर, जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले के पचौता गाँव में स्थित है, वहां के सिद्ध धाम से जुड़ी कथाएं भक्तों को अपनी ओर खींचती हैं। इस मंदिर के परिसर में लाला जय सिंह और बाबा देवी दास के मंदिर स्थित हैं, और यहां प्रति वर्ष होली के दिन एक विशाल मेला आयोजित होता है।
पचौता गाँव में एक साधारित परिवार निवास करता था, जिसके मुखिया का नाम हेमराज और पत्नी का नाम मथुरी था। इस परिवार के पुत्र का नाम देविया था। मथुरी ने प्रत्येक पूर्णिमा को अनूपशहर में गंगा स्नान किया और बाबा मथुरामल के मंदिर में जल चढ़ाया करती थी। एक दिन उन्होंने बाबा मथुरामल से यह कहा कि वे वृद्ध हो गए हैं और हर पूर्णिमा आना उनकी क्षमता से बाहर है, इसलिए उन्हें क्षमा करें। इस पर भगवान ने उनकी करुणा से सुना और उन्हें अपने साथ उपस्थित होने का आशीर्वाद दिया।
मथुरी और हेमराज की एक दिन गायबी कहानी भी है, जिसमें तूफान के बाद उनकी छोटी बेटी देविया को खोने का दुःख होता है और उसके बाद एक अद्भुत घटना होती है जिससे उन्हें देवीदास कहा जाने लगते हैं।
बाबा देवीदास और लाला जय सिंह का इतिहास पुराना है, और मुग़लों के शासन के दौरान हुआ है। इनका गोत्र पश्चान यादव परिवार से था, और इनके पूर्वज राजस्थान के जैसलमेर में हुए थे। इनके परिवार ने दिल्ली के पास आदर्श जगहों पर बसने का निर्णय किया, जहां उनका इतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुआ।
लाला जय सिंह की जीवनी में भी अद्भुत घटनाएं हैं, जिसमें उनके बचपन से ही उनकी भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रवृत्ति होती है। उनके जीवन का एक अद्वितीय पहलु यह था कि उन्होंने माता-पिता से प्रसाद मांगा था, और जब वह प्रसाद नहीं मिला, तो वह ढाके में बैठकर समाधि लेते हैं। इससे उन्हें ‘लाला’ कहा जाने लगता है और लोग उन्हें भगवान कृष्ण केअवतार मानने लगते हैं।
उनके मंदिर के ढाके में समाधि लेने के बाद, भक्तों ने उन्हें ‘लाला’ जय सिंह के रूप में पूजना शुरू किया और उनकी बाल लीलाएं और आध्यात्मिक बोध की बातें लोगों को प्रेरित करने लगीं।
बाबा देवीदास और लाला जय सिंह के मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए यहां एक अद्वितीय आत्मसंग्रहण और आध्यात्मिक अनुभूति का स्थान बन गया है। इनके चमत्कारी जीवन की कथाएं और उनके आध्यात्मिक संदेशों से लोग अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए प्रेरित हो जाते हैं।
बाबा लाला जय सिंह की कथा भी अद्वितीय है। उनके जन्म के समय कृष्ण जन्माष्टमी के बाद का होना और उन्हें लाला बुलाया जाना, इससे उन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है। उनकी भक्ति और सेवा भावना ने उन्हें देवीदास के नाम से प्रसिद्ध किया, और उनका जीवन भक्तिभाव और दया की ओर मुड़ता गया। उनके जीवन के चरित्र में से लोगों को आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने के लिए उत्साहित करने के लिए यहां साझा कर रहा हूं।